दिल-के-एहवाल
एक क़ासिद रवाना किया है तुझे ऐ खुदा |
कुछ हिसाब है,
जो बेहिसाब है।
कुछ टूटे धागे हैं,
जिनके जख्म अभी भी ताज़े हैं।
कुछ शिकवे हैं,
जो अपनों से मिले,
इसलिए तजुर्बे के तोहफ़े हैं।
कुछ इक़्तियार हैं,
जो बड़े ही बेकार हैं।
कुछ चेहरे हैं,
जिन पर पड़े शराफ़त के पर्दे हैं।
कुछ धोके हैं,
जो फ़िक्र के नाम से
दामन में लोगों ने बाँधे हैं।
कुछ बेईमानों के क़र्ज़े हैं,
जो तेरे हवाले हम करते हैं।
गुफ़्तगू होगी जब तेरे शहर में,
उस दिन का इंतज़ार हम करते हैं।
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